The Fact About बगलामुखी युक्त धूमावती That No One Is Suggesting



Aacharya Goldie Madan (whats app +16475502650)

बगला में भ्रवो नित्यं कर्णयोः क्लेश हारिणी।।

पाश्र्वयो र्हनुमद् वन्द्या प्शु पाश विमोचिनी।

เล่นเกมสล็อตออนไลน์เวลาไหนดี ที่สามารถได้เงินรางวัลโบนัส เงินรางวัลแจ็คพอต The method is swift and poses no large trouble as all you'll have to do is log in into the application, adhering to which you can pick out any online video match within just your decision. Thrust much more meetings with potential customers and Web page homeowners to stimulate them for publishing

viniyoga : – asya śrī bagalā pratyaṃgirā maṃtrasya nārada ṛṣi striṣṭupa chandaḥ pratyaṃgirā hlīṃ bījaṃ hūṃ śaktiḥ hrīṃ kīlakaṃ hlīṃ hlīṃ hlīṃ hlīṃ pratyaṃgirā

जंघायुग्मे सदा पातु बगला रिपुमोहिनी। स्तम्भयेति पदं पृष्ठं पातु वर्णत्रयं मम।। (९)

जो भी अपने जीवन को और अपने जीवन से भी आगे बढ़कर समाज व् देश को संवारने की इच्छा रखते है, लाखों-लाख लोगों का हित करने, उन्हें प्रभावित करने की शैली अपनाना चाहते है, उनके लिए तो यही एक सही अवसर है। इस दिन कोई भी साधना संपन्न की जा सकती है। तान्त्रोक्त साधनाएं ही नहीं दस महाविद्या साधनाएं, अप्सरा या यक्षिणी साधना या फिर वीर-वेताल, भैरवी जैसी उग्र साधनाएं भी संपन्न की जाएं तो सफलता एक प्रकार से सामने हाथ बाँध खड़ी हो जाती है। जिन साधनाओं में पुरे वर्ष भर सफलता न मिल पाई हो, उन्हें भी एक एक बार फिर इसी अवसर पर दोहरा लेना ही चाहिए।

Though typically depicted using a human head, the goddess is sometimes described to have a head of the crane and sometimes depicted ridding a crane. Sometimes, she's explained connected with other birds: possessing a duck-head or perhaps a nose of the parrot.[five] Etymology and also other epithets

ॐ ण तं थं दं धं नं पं फं लं भं नमो दक्ष पादे

त्रिशूलं पान पात्रं च गदा जिह्वां च विभ्रतीम्॥

विनियोग – ॐ अस्य श्री बगलामुखी ब्रह्मास्त्र मंत्र कवचस्य भैरव ऋषिः, विराट छ्ंदः, श्री बगलामुखी देव्य, क्लीं बीजम्, ऐं शक्तिः, श्रीं कीलकं, मम मनोभिलाषिते कार्य सिद्धयै विनियोगः।

इस प्रकार होली लौकिक व्यवहार में एक त्यौहार तो है लेकिन साधना की दृष्टी से यह विशेष तंत्रोक्त-मान्त्रोक्त पर्व है जिसकी किसी भी दृष्टी से उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। साधक को इस दिन किसी न किसी साधना का संकल्प अवश्य ही लेना चाहिए। और यदि सम्भव हो होली से प्रारम्भ कर नवरात्री तक साधना को पूर्ण कर लेना चाहिए।

इस कवच के पाठ से वायु भी स्थिर हो जाती है। शत्रु का विलय हो जाता है। विद्वेषण, आकर्षण, उच्चाटन, मारण तथा शत्रु का स्तम्भन भी इस कवच के पढ़ने से होता है। बगला प्रत्यंगिरा सर्व दुष्टों का नाश करने वाली, सभी दुःखो को हरने वाली, पापों का नाश करने वाली, सभी शरणागतों का हित करने वाली, भोग, मोक्ष, राज्य और सौभाग्य प्रदायिनी तथा नवग्रहों के दोषों को दूर करने वाली हैं। जो साधक इस कवच का पाठ तीनों समय अथवा एक समय भी स्थिर मन से करता है, उसके लिए यह कल्पवृक्ष के समान है और तीनों लोकों में उसके लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं है। साधक जिसकी ओर भरपूर दृष्टि से देख ले, अथवा हाथ से किसी को छू भर दे, वही मनुष्य दासतुल्य हो जाता है।

Would you like Wikipedia to normally search as professional and up-to-day? We've established a browser extension. It is going to enrich any more info encyclopedic webpage you visit Using the magic in the WIKI two technological know-how.

भगवती धूमावती के सन्दर्भ में कहा जाता है कि एक बार भगवती पार्वती भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर विराजित थीं। तभी पार्वती जी को बहुत जोर की भूख लगी। पार्वती जी ने भगवान शिव से अपनी भूख का निवारण करने हेतु निवेदन किया। लेकिन भगवान शिव ने उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। भूख से व्याकुल पार्वती जी को अपनी उपेक्षा पर अत्यधिक क्रोध आ गया और उन्होंने महादेव को ही निगल लिया। इससे उनके शरीर से धूम राशि निकली, जिससे पार्वती जी का सम्पूर्ण शरीर धुंए से ढक गया। उस समय महादेव ने कहा कि ”आपकी सुन्दर मूर्ति धुंए से आप्लावित हो गयी है, इसलिए अब आपको धूमावती या धूम्रा कहा जायेगा। इस प्रकार इन देवी का नाम धूमावती के नाम से विख्यात हुआ। शिव को निगल जाने के कारण ये अकेली हैं और इनका कोई स्वामी अथवा नियंत्रक नहीं है, अतः आप स्वनियंत्रिका का हैं। इसी कारण से इन्हें विधवा भी कहा गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *